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यादें नज़्म-16-Aug-2024

प्रतियोगिता हेतु 
दिनांक: 16/08/2024

यादें (नज़्म)

ये यादें हैं 
सौगात तेरी जो
सीने से लगाए रहते हैं.
न जीते हैं.
न मरते हैं।
न चैन से ,
सांस लेते हैं.
ये यादें हैं 
सौगात तेरी जो
सीने से लगाए रहते हैं.
कभी दिल घबराता बहुत
कभी कहता
 कहीं उड़ चलें.
कभी हंसकर 
मुस्कुराते हम
कभी चुपके से रो पड़ें.
ये यादें हैं 
सौगात तेरी जो
सीने से लगाए रहते हैं.
न जाने कब तक ?
हम करेंगे इंतज़ार तेरा.
न जाने कब तक ?
छुपकर करते रहेंगे
दीदार तेरा,
कब मुलाकात होगी?
कब हसीन 
दिन और रात होगीं?
ये यादें हैं सौगात तेरी जो
सीने से लगाए रहते हैं.
शाहाना परवीन "शान"...✍️
मुजफ्फरनगर 

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4 Comments

Babita patel

17-Jan-2025 07:23 PM

👌👌

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kashish

29-Sep-2024 01:24 PM

Awesome

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madhura

20-Aug-2024 02:35 PM

Nice

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